Sunday, May 30, 2021

साढ़े साती '56' तुम निकले वास्तव में निकृष्ट

7 साल में कर दी तुमने 
छह दशक की पूंजी नष्ट
साढ़े साती 56 तुम निकले
वास्तव में निकृष्ट

सुना नहीं जाता अब
तुम्हारे 'मन' का 'विधवा विलाप'
मौन रहो या मनोचिकित्सक से
मिल ही आओ आप

एनटायर की डिग्री लेकर भी 
है अधकचरा ज्ञान
मन का मैल हटाने भी
चलवाओ 'स्वच्छता अभियान'

चीन्ह चीन्ह कर बाँटी तुमने
राहत, सांसे और दवाई
जो 'आपदा में अवसर' ढूंढे
वो है निर्मम कसाई

बीमारी और भूख से लड़ती
मर रही देश की जनता
रोन्दु 'फकीर' को अब भी है बस
अपने महलों की चिंता

'नाली का कीड़ा' कहकर भी 
सम्मान दे दिया ज्यादा
उन्हें यथोचित शब्द बोलने
तोड़नी होगी संसदिय भाषा की मर्यादा

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