लिखना भी चाहिए
वह शक्स है कमीना
दिखना भी चाहिए
सब लोग डरे उससे
जरूरी तो नहीं है
इस बात की उसे भी सनद
होनी ही चाहिए
खाऊँगा न खाने दूँगा
जो कहता था चीख के
आज खा गया वो देश
पता होना चाहिए
दाढ़ी बढ़ाके हर कोई
होता नहीं है संत
अब सब समझ गए हैं
समझना भी चाहिए
सुना है किसी ने उसको
दिखा दी है उसकी औकात
लाख बदहजमी हो पर ये
हजम होना चाहिए
गंगा में लाशों के
चश्मदीद बहुत हैं
अब सुराग न मिटा पाओगे
पता होना चाहिए
मौतों के सौदागर से
राजधर्म की उम्मीद
उनके बाप को नहीं थी
तो क्या हमें होनी चाहिए
रावण का भी अहंकार
टिक न सका था
एक बार पढ़ लो रामायण
पढऩी भी चाहिए
वो मौन था पर उसे
चिंता थी देश की
वाचाल लापरवाह को फेंकू
कहना ही चाहिए
वो तो दुकानदार है
ये जानते थे हम
अब हो रहा पछतावा
नही होना चाहिए
रंगा कहो बिल्ला कहो
नंगे खड़े है वो,
उनको नही पड़ता है फर्क
क्या पड़ना चाहिए?
वो इंसान नही जो तलाशे
आपदा में अवसर
ये अच्छी बात नही
ये पता होना चाहिए
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